Friday, May 15

समाजशास्त्रीय विचारधारा

 जर्मी बेंथम (1748-1832)

• सामाजिक पहलू पर ज्यादा जोर देते हैं
• इस विचारधारा को क्रियाशील विचारधारा कहा जाता है
• थ्योरी ऑफ लेजिस्लेशन जर्मी बेंथम की कृति है
• 1.  आजीविका का निर्वाह
• 2.  बहुलता एवं प्रचुरता
• 3.  समता को प्रोत्साहन
• 4.  सुरक्षा तथा रखरखाव

 आगस्ट काम्टे (1786-1857)
• अगस्त काम्टे के विचारधारा वैज्ञानिक प्रमाणवाद हैं

हरबर्ट स्पेन्सर (1820-1903)
• विधि के उद्भव के सिद्धांत

रूडोल्फ वॉन इहरिंग (1898-1892)
• समाजशास्त्रीय विचारधारा के जनक माने जाते हैं
• आधुनिक समाजशास्त्रीय विधि शास्त्र के जनक बेंथम हैं फ्रीडमैन

लियोन ड्युगिट (1859-1928)
• ड्युगिट का सामाजिक समेकता का सिद्धांत
• लॉ इन दी मॉडर्न स्टेट
• जनसेवा के विचार पर बल दिया है ।

• विधिक सिद्धांत शब्द का प्रयोग डॉक्टर फ्रीडमैन ने किया था
• समाजशास्त्रीय विचारधारा के जनक इहरिंग है
• समाजशास्त्रीय विचारधारा शाखा का उपनाम क्रियाशील विधि है
• समाजशास्त्रीय विचारधारा के मुख्य समर्थक ईहरिंग, ड्यूगिट,इहरलिच,वेन्थम, रास्को पाउण्ड आदि है
• रास्को पाउण्ड न्यू समाजशास्त्रीय विचारधारा को सामाजिक यांत्रिकी कहा है
• समाजशास्त्रीय विचारधारा ने सबसे अधिक बल सामाजिक पहलुओं पर दिया है
• विज्ञान के रूप में समाजशास्त्रीय अध्ययन को परिभाषित करने वाले प्रथम व्यक्ति ऑगस्त काम्टे थे
• काम्टे के विचारधारा का नाम वैज्ञानिक प्रमाण वाद है
• काम्टे का वैज्ञानिक प्रमाण बाद अनुभव वादी पद्धति पर आधारित है
• वर्तमान समाजशास्त्री विधि के प्रणेता इहरिंग है
• ईहरिंग के अनुसार विधि का उद्देश्य व्यक्तिगत हितों को एकरूपता देते हुए सामाजिक हितों की सुरक्षा करना और उन्हें आगे बढ़ाना है
• ड्युगिट ने समाज में मनुष्य की परस्पर निर्भरता को सामाजिक समेकता का नाम दिया है
• ड्युगिट की सामाजिक समेकता की कल्पना काम्टे के विधि दर्शन पर आधारित है
• सामाजिक समेकता का सिद्धांत मानव अधिकारों को मान्यता प्रदान नहीं करता है
• ड्युगिट के अनुसार मनुष्य केवल एक ही अधिकार धारण करता है
• वह अधिकार है अपने वास्तविक कर्तव्य का निरंतर पालन करने का अधिकार
इहरलिच के अनुसार विधि सामाजिक रीतियों का अनुसरण करती है इनके अनुसार विधि के विकास का केंद्र बिंदु विधान या न्यायालयीय निर्णय ना होकर स्वयं समाज है
• इहरलिच ने रूढि को विधि के स्रोत का एक प्रकार माना है
• इहरलिच की विचारधारा का केंद्र बिंदु जीती जागती विधि है
• इहरलिच की विचारधारा या विचार पद्धति का मुख्य दोष यह है कि वह राज्य को गौण स्थान प्रदान करते हैं
• रास्को पाउण्ड का विधि दर्शन हित पर आधारित है
• रास्को पाउण्ड के अनुसार विधि का प्रधान कार्य सभ्यता को आगे विकसित करना है
• इहरिंग के विचारों के आधार पर विधिशास्त्र के कार्यक्रम को क्रियात्मक स्वरूप रास्को पाउंड ने दिया
• इंट्रोडक्शन टू अमेरिकन लॉ के लेखक डीन रास्को पाउंड है
• रास्को पाउंड विधि को एक साधन मात्र मानते हैं
• इन के अनुसार विधि का प्रथम कार्य है कि समाज के उन तत्वों की खोज करें जो सभ्यता को विकसित करते हैं इसके बाद दूसरा कर्तव्य है कि इन तत्वों के निरीक्षण और परीक्षण द्वारा मानवी संव्यवहारों के उन तत्वों की खोज करें जो सभ्यता को बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं
• रास्को पाउंड ने समस्त मानव हितों को तीन श्रेणियों में विभक्त करते हुए उन्हें विधि द्वारा संरक्षण दिए जाने की आवश्यकता को प्रतिपादित की है  ये हित है-म
• 1.  व्यक्तिगत हित
• 2.  लोकहित
• 3.  सामाजिक हित
• हित के सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए रास्को पाउंड कहते हैं कि कभी-कभी इन विभिन्न हितो में परस्पर टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है अतः विधि के माध्यम से परस्पर विरोधी हितों में समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए यही कारण है कि रास्को पाउंड विधिशास्त्र को सामाजिक विज्ञान कहने के बजाय विधि को सामाजिक तकनीकी कहना ही अधिक उचित समझा।
• समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण अपनाने वाले  विधिशास्त्री विधि के उद्देश्य तथा नैतिक पहलुओं पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं उनके अनुसार विधिशास्त्र का अध्ययन ऐसी पद्धति से किया जाना चाहिए जिससे सामुदायिक जीवन के अंतर्गत संपर्क में आने वाले व्यक्तियों के पारस्परिक संबंधों एवं सम व्यवहारों को विनियमित किया जा सके
 समाजशास्त्रीय विचारधारा के मूल तत्व—
• विधि को सामाजिक जटिलताओं से पृथक नहीं किया जा सकता है क्योंकि मानव जीवन की समस्याओं के निवारण हेतु विधि ही सर्वोत्तम माध्यम है
• विधि एक सामाजिक अवधारणा है जो मानव द्वारा स्वयं के अनुभव तथा सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप निर्मित की जाती है
• समाजशास्त्रीय विचारधारा के समर्थक विश्लेषणात्मक प्रमाण वादी विचारधारा का खंडन इस आधार पर करते हैं कि वह संप्रभु के आज्ञात्मक शक्ति पर आधारित है जो वर्तमान लोकतंत्रात्मक शासन प्रणालियों में निरर्थक हो चुकी है
• मांटेस्क्यू ने किसी देश की संरचना जानने के लिए उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का अध्ययन किए जाने की आवश्यकता बताया है
• बेंथम बोलता व्यक्तिवादी विचारधारा के समर्थक थे तथा उनके विधिक विचार उपयोगितावाद पर आधारित है
• बेंथम में अधिकाधिक लोगों के अधिकाधिक सुख को ही विधायन का अंतिम लक्ष्य माना है
• थ्योरी ऑफ लेजिस्लेशन बेंथम की कृति है
• अगस्त काम्टे ऐसे प्रथम विधि विचारक थे जिन्होंने समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित किया
• उन्नीसवीं शताब्दी में हुई वैज्ञानिक प्रगति के कारण लोगों में यह धारणा बन गई थी कि मानवीय आचरण का निर्धारण भी वैज्ञानिक माध्यम से किया जाना चाहिए इसी से प्रभावित होकर अगस्त काम्टे ने एक नई विचारधारा को जन्म दिया जिसे वैज्ञानिक प्रमाणवाद कहा जाता है
• विधिशास्त्र में बेंथम के योगदान को स्वीकारते हुए फ्रीडमैन ने उन्हें आधुनिक सामाजिक विधिशास्त्र का जनक माना है
• इहरिंग को वर्तमान समाजशास्त्री विधिशास्त्र का जनक माना जाता है उनके अनुसार विधि का उद्देश्य व्यक्तिगत हितों को एकरूपता देते हुए सामाजिक हितों को सुरक्षा प्रदान करना और उन्हें आगे बढ़ाना है
• इहरिंग के अनुसार समाज में व्यक्तिगत एवं सामाजिक हितों के बीच परस्पर टकराव की स्थिति उत्पन्न होती रहती है विधि का कार्य इन दोनों प्रकार के हित में समन्वय बनाए रखना है
• इहरिंग का सामाजिक हित उन्हें उपयोगितावाद के प्रणेता बेंथम से संबंध करता है जबकि उनका राज्य की शक्ति का सिद्धांत उन्हें ऑस्टिन के निकट लाता है
• इहरिंग ने विधि को सामाजिक हितों को साध्य करने का साधन माना है
• दी ला इन द मॉडर्न स्टेट कृति ड्युगिट की है
• ड्युगिट के सामाजिक समेकता के सिद्धांत के अनुसार राज्य को मानव संगठन का एक प्रकार मात्र माना गया है इन के अनुसार राज्य का अस्तित्व तभी तक उचित है जब तक की वह सामाजिक समेकता को बढ़ाता है
• ड्युगिट  ने राज्य की प्रभुसत्ता को नकारते हुए कहा कि वास्तविक प्रभुसत्ता जनता या समाज में निहित रहती है
• ड्युगिट के अनुसार विधि को अधिकारों का समूह नहीं माना जाना चाहिए यदि समाज में व्यक्ति का कोई अधिकार है तो केवल यह है कि वह अपने कर्तव्यों का पालन करें
• विधि आवश्यक रूप से ऐसी सामाजिक वास्तविकता है जिसका संबंध व्यक्तियों के बीच संबंधों को नियंत्रित रखना है
• इहरलिच ने अपने गुरु इहरिंग की जीती जागती विधि को अपनी विचारधारा का केंद्र बिंदु बनाया तथा विधि एवं सामाजिक विषयों के अंतर को यथासंभव कम किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया
• इहरिंग का कहना है कि विधि के विकास का केंद्र बिंदु विधायन या न्यायालयीय निर्णय ना होकर समाज स्वयं है
• अतीत के संतुलन का सिद्धांत—ड्युगिट

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