Friday, May 15

यथार्थवादी विचारधारा

समर्थक- जॉन चिपमेन ग्रे, J. होम्स, कार्ल लेवलिन, जेरोम फ्रेक, अर्नोल्ड, बेन्जामीन, एन कार्डोजो, एक्सल हेनास्टोर्म, विल्हेम, लुण्डस्टेट, कार्ल, ओलाइब क्रोना, एल्फ रॉस, थुर्मन वेस्ली।

• यथार्थवादी विचारधारा कोई नवीन विचारधारा नहीं है यह समाजशास्त्रीय विचारधारा का एक भाग है
• अमेरिका में समाजशास्त्री विधिशास्त्र के प्रगति के साथ-साथ वामपंथी शाखा का प्रादुर्भाव हुआ जिसे यथार्थवाद के नाम से जाना जाता है
• अमेरिका के न्यायाधीश जेरोम फ्रैंक ने यह स्वीकार किया कि विधिशास्त्र में यथार्थवादी शाखा के नाम की कोई स्वतंत्र विधि पद्धति अस्तित्व में नहीं है
• यथार्थवादी विचारधारा की उत्पत्ति अमेरिका में हुई अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ओलिवर होम्स इस विचारधारा के जनक माने जाते हैं
• जेरोम फ्रैंक, जान चिपमेन ग्रे, जस्टिस कार्डोजो लेवलिन इस विचारधारा के प्रमुख विचारक है।
• विधिशास्त्री यथार्थवादी वस्तुतः विधि के समाजशास्त्रीय विचारधारा के पोषको द्वारा ऑस्टिन, वेन्थम, स्टुअर्ट मिल आदि विश्लेषणात्मक में विधिशास्त्रियों के विरुद्ध चलाया गया एक तार्किक आंदोलन था जो ब्रिटिश साम्राज्यवाद के प्रबल समर्थक थे
• कार्डोजो ने इस बात पर बल दिया कि विधि का अध्ययन  विद्यमान सामाजिक परिवेश में किया जाना चाहिए और यह आकलन किया जाना चाहिए कि उसके क्रियान्वयन से समाज किस प्रकार प्रभावित हो रहा है और उसका बेहतर परिवर्तन किस तरह सुनिश्चित किया जा सकता है
• यथार्थवादी विधि शास्त्रियों ने विश्लेषणात्मक प्रमाणवाद और समाजशास्त्रीय विचारधारा के आधारभूत सिद्धांतों को मिलाकर विधि के प्रति एक नई विचारधारा को अपनाने का प्रयास किया जिसे अमेरिकी यथार्थवाद के नाम से विकसित किया
• यथार्थवादियो ने विधि के अध्ययन में अपना ध्यान न्यायाधीशों के महत्व पर केंद्रित किया
• उनके अनुसार कानून वह है जो न्यायाधीशों द्वारा अपने निर्णयों में व्यक्त किया जाए ना कि वह जो कानूनी ग्रंथों या संहिताओं में विनियमित हो
• यथार्थ वादियों का कथन है कि जो निर्णय न्यायाधीश देता है उसके और जो निर्णय उससे कानूनी पुस्तकों एवं संस्थाओं के आधार पर देना चाहिए उसमें अंतर होता है
• जॉन चिपमेन ग्रे ने अधिनियमित विधि की बजाय न्यायिक निर्णय के अधिक महत्व दिए जाने की आवश्यकता प्रतिपादित किए
• ग्रे के अनुसार विधानमंडलों द्वारा निर्मित कानून संविधि के मृत शब्द मात्र होते हैं जिन्हें न्यायालय अपने न्यायिक निर्वाचन द्वारा जीवन प्रदान करते हैं
• अतः सामाजिक व्यवस्था में कानूनों के निर्माण में न्यायाधीशों की अहम भूमिका रहती है क्योंकि न्यायाधीश केवल विधि की खोज ही नहीं करते अपितु विधि का सृजन भी करते हैं
• होम्स के अनुसार  विधि का जीवन तर्क पर आधारित ना होकर अनुभव पर आधारित है
• होम्स विधि के परिवर्तनशीलता का समर्थन करते हैं उनके  मतानुसार राष्ट्र की बदलती हुई परिस्थितियों के साथ-साथ वहां की विधि में परिवर्तन होना अवश्यंभावी है
• जिससे वह परिस्थितियों के अनुकूल बनाए जा सके
• होम्स यह भी कहते हैं कि विधि गणित की पुस्तक में लिखित पूर्व मान्यताओं के समान अटल नहीं होती हैं इसलिए उसमें तर्क के बजाय आचरण तथा अनुभव को ही अधिक महत्व दिया जाना चाहिए
• लेवलिन ने रास्को पाउंड की समाजशास्त्रीय विचारधारा प्रतिक्रिया स्वरुप यथार्थवादी विधि का समर्थन किया उनके अनुसार यथार्थवादी विधिशास्त्रियों का ध्येय यह है कि विधि संबंधी विचारों एवं कार्यों में गति उत्पन्न की जाए
• लेवलिन ने अमेरिका के यथार्थवादी आंदोलन की विशेषताओं की ओर विधिशास्त्रियों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि—
• A.  यथार्थवादी विधिशास्त्र की कोई पृथक शाखा नहीं है वरन यह विधिशास्त्र की एक नई पद्धति मात्र है
• B.यथार्थवादी विधिवेत्ता विधि को प्रगतिशील मानते हैं ना की स्थिर या गतिहीन
• C. विधि न्यायिक प्रक्रिया की उपज है
• आधुनिक यथार्थवादियो के अनुसार सामाजिक परिवर्तन कानूनी परिवर्तन की तुलना में कहीं अधिक तेज है अतः यह परीक्षण करने की आवश्यकता होती है कानून किस सीमा तक तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों के अनुकूल है
• यथार्थ वादियों की मान्यता है कि विधि वही है जो न्यायालय अपने निर्णयों में अभिव्यक्त करते हैं
• जेरोम फ्रैंक के अनुसार जनता विधि के नियमों की अनिश्चितता तथा एकरूपता के प्रति इतनी सजक इसलिए रहती है क्योंकि इनसे समाज को मार्गदर्शन प्राप्त होता है
• जेरोम फ्रेंक  ने वास्तविक विधि और संभावित विधि में अंतर स्पष्ट किया है उनके अनुसार वास्तविक विधि वह है जो सामान पर स्थित में भूतकाल में किसी न्यायिक निर्णय में दी गई हो तथा संभावित विधि ऐसी विधियां जो समान परिस्थिति में भविष्य में किसी न्यायिक निर्णय में दी जा सकती है
• इन के अनुसार संभावित विधि वास्तव में विधि नहीं होती है
• कार्डोजो के अनुसार कानून वह नहीं है जो विधानमंडल बनाते हैं बल्कि वह है जिसे न्यायाधीश बनाते हैं
• कार्डोजो विधि को सामाजिक कल्याण का साधन मानते हैं उनके अनुसार विधि का स्वरूप कल्याणकारी होना चाहिए जिससे वह सामाजिक वास्तविकता के अनुरूप बन सके

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