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Monday, August 24

शाश्वतता के विरुद्ध नियम

धारा 14 ‘शाश्वतता के विरुद्ध नियम’ को बताती है | शाश्वतता क्या है ? संपत्ति का ऐसा अंतरण जो उसके पुनः अंतरण को अनिश्चित काल के लिए असंभव बना देता है | ‘शाश्वतता’ को भविष्य में दूरस्थ हितों का सृजन भी कहते  है | एक ऐसी चीज़ को जी संपत्ति के स्वतंत्र संचालन को रोकती है | विधि में घृणित है, सामान्य सम्पदा की विनाशक है, वाणिज्य के लिए बाधा है, शाश्वतता है | शाश्वतता के निर्माण के पीछे के उद्देश्य यह भी है कि लोग अपने परिवार के नाम और स्वाभिमान को ऊँचा रखना चाहते हैं |


शाश्वतता का निर्माण - शाश्वतता का निर्माण

Friday, August 14

संक्रामण अवरुद्ध करने वाली प्रमुख शर्तें

संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 10 सशर्त अंतरण से सम्बंधित है | धारा 10 के अनुसार यदि किसी संपत्ति (चल/अचल) का अंतरण किया जाता है (अंतरण चाहे आत्यंतिक हित द्वारा दिया जा रहा हो या सीमित) और उसमें यह शर्त लगा दी जाती है कि अंतरिती या उसका उत्तराधिकारी भविष्य में उसे अंतरित नही कर सकेगा तो यह देखा जायेगा कि संपत्ति को पुनः अंतरित करने से रोकने वाली शर्त या मर्यादा पूर्ण है या आंशिक | यदि वह शर्त या मर्यादा पूर्ण है तो वह शून्य होगी और यदि ऐसा अवरोध आंशिक है तो वैध होगी तथा अंतरण दोनों ही परिस्थितियों में वैध होगा |

उदाहरण के लिए – A, B को अपना मकान

प्रश्न यह कि क्या संपत्ति का मौखिक अंतरण किया जा सकता है ?

भारत में संपत्ति के अंतरण की परिभाषा में अंग्रेजी विधि से सम्बंधित जटिलताओं को स्वीकार नहीं किया गया है | अतः यहाँ संपत्ति  का मौखिक अंतरण संभव है| 

धारा 9 के अनुसार- ‘’प्रत्येक उस मामले में जिसमे लिखत विधि के द्वारा अपेक्षित नही है, संपत्ति का अंतरण लिखत के बिना किया जा सकता है |’’

इस प्रकार धारा 9 संपत्ति के मौखिक अंतरण को

Thursday, August 6

सभी प्रकार की संपत्ति अंतरित की जा सकती है, केवल अपवादों को छोड़कर

संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 5 में संपत्ति के अंतरण की परिभाषा दी गयी है ‘संपत्ति के अंतरण’ से ऐसा कार्य अभिप्रेत है जिसके द्वारा कोई जीवित व्यक्ति एक या अधिक अन्य जीवित व्यक्तियों को या स्वयं को अथवा स्वयं और एक या अधिक अन्य जीवित व्यक्तियों को वर्तमान में या भविष्य में संपत्ति हस्तांतरित करता है और ‘संपत्ति के अंतरण करना’ ऐसा कार्य करना है ।

इस धारा में - ‘जीवित व्यक्ति के

Wednesday, August 5

सूचना धारा 3 संपत्ति अंतरण अधिनियम


सूचना (Notice) सम्पति अंतरण अधिनियम की धारा 3 में परिभाषित है | धारा 3 के शब्दों में किसी तथ्य की सूचना को निम्नवत परिभाषित किया गया है- “किसी तथ्य की व्यक्ति को सूचना है यह तब कहा जाता है जब वह वास्तव में उस तथ्य को जानता है अथवा यदि ऐसी जाँच या तलाश जो उसे करनी चाहिए थी , करने से जानबूझकर विरत न रहता था, घोर उपेक्षा न करता तो वह उस तथ्य को जान लेता |

Tuesday, August 4

अनुयोज्य दावा तथा इसका अंतरण

अनुयोज्य दावा (Actionable Claim) - अनुयोज्य दावा धारा 3 में परिभाषित है तथा अध्याय 8 (धारा 130 से 137) अनुयोज्य दावे के अंतरण के बारे में प्रावधान करता है | दावा से तात्पर्य अधिकार से है तथा एक ऐसा दावा या अधिकार जो अनुयोज्य हो अर्थात न्यायालय में कार्यवाही के योग्य हो उसे अनुयोज्य