Friday, August 14

संक्रामण अवरुद्ध करने वाली प्रमुख शर्तें

संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 10 सशर्त अंतरण से सम्बंधित है | धारा 10 के अनुसार यदि किसी संपत्ति (चल/अचल) का अंतरण किया जाता है (अंतरण चाहे आत्यंतिक हित द्वारा दिया जा रहा हो या सीमित) और उसमें यह शर्त लगा दी जाती है कि अंतरिती या उसका उत्तराधिकारी भविष्य में उसे अंतरित नही कर सकेगा तो यह देखा जायेगा कि संपत्ति को पुनः अंतरित करने से रोकने वाली शर्त या मर्यादा पूर्ण है या आंशिक | यदि वह शर्त या मर्यादा पूर्ण है तो वह शून्य होगी और यदि ऐसा अवरोध आंशिक है तो वैध होगी तथा अंतरण दोनों ही परिस्थितियों में वैध होगा |

उदाहरण के लिए – A, B को अपना मकान अंतरित करता है और यह शर्त लगाता है कि B उसे C को अंतरित नही करेगा | यह शर्त उस परिस्थिति में आंशिक होगी जब उस क्षेत्र में A, B, C के अतिरिक्त अन्य व्यक्ति निवास करते है तथा उस परिस्थिति में यह शर्त पूर्ण अवरोध होगी यदि उस क्षेत्र में A, B, C के अलावा कोई अन्य व्यक्ति निवास न करता हो |

धारा 10 के विश्लेषण से निम्नलिखित बाते स्पष्ट होती है –
1- किसी संपत्ति का अंतरण किया गया हो |
2- अंतरण के साथ कोई शर्त या मर्यादा हो जिसके अनुसार अंतरिती या उसके अधीन संपत्ति पाने वाला व्यक्ति हो |
3-संपत्ति या उसके किसी हित का आगे अंतरण नहीं करेगा |
4- उपर्युक्त परिस्थितियों में ऐसा अवरोध शून्य होगा तथा अंतरण विधिमान्य होगा न की ऐसी शर्त या मर्यादा |

पूर्ण या आंशिक अवरोध का निर्धारण – अंतरिती द्वारा पुनः अंतरण पर लगाया गया अवरोध पूर्ण है या आंशिक (Partial) इसका निर्धारण न्यायालय मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के अनुसार करता है |

उदाहरण के लिए – A, B को कोई संपत्ति अंतरित करते समय यह शर्त लगाता है कि B उसे अगले 20 वर्षों तक किसी को अंतरित नही कर सकता | यदि B की उम्र 70 वर्ष है तो यह अवधारित किया जा सकता है कि अन्तरण पर ऐसा अवरोध पूर्ण या आत्यंतिक है | परन्तु –
यदि B की उम्र एक वर्ष है तो यह अवधारित किया जा सकता है कि अवरोध आंशिक है |

रोशर बनाम रोशर के मामले में न्यायालय ने यह कहा कि यदि A, B को कोई संपत्ति दान में देता है और यह शर्त लगाता है कि यदि Bउसे C के जीवनकाल में बेचेगा तो C को यह अधिकार होगा कि वह उसे पांच हज़ार रुपये में खरीद ले | जबकि संपत्ति की कीमत एक लाख रुपये है तो ऐसी शर्त संपत्ति के अन्य संक्रामण पर पूर्ण अवरोध है और शून्य है परन्तु अंतरण वैध है |

धारा 10 के अपवाद – धारा 10 के निम्नलिखित अपवादों में यदि अंतरण के समय संपत्ति के अन्य संक्रामण पर पूर्ण अवरोध लगाया गया है तो ऐसा अवरोध (शर्त या मर्यादा) विधिमान्य  होगा –

(1)- पट्टे के मामले में धारा 10 लागू नही होती है परन्तु इसके अंतर्गत यह पट्टा अंतरणकर्ता और उसके वारिसों के लिए लाभकारी होना चाहिए |

(2)- विवाहित महिला – धारा 10 ऐसी विवाहित स्त्रियों पर लागू नही होगी जो हिन्दू, मुस्लिम या बौद्ध न हों| (इसाई, पारसी, यहूदी, विवाहित स्त्रियाँ) तथा ऐसी शर्त विवाहित स्थिति के दौरान के लिए हो |

(3)- ऐसा अंतरण जो  संपत्ति अंतरण की परिभाषा में नही आता – यदि कोई ऐसा अंतरण होता है जो  अधिनियम की धारा 5में परिभाषित है, संपत्ति का अंतरण नही है, उन पर भी धारा 10लागू नही होगी |

जैसे – पारिवारिक समझौता या भागीदारी संपत्ति का बंटवारा (हरिराम बनाम रामआसरे)|
वसीयत के मामलो में (मुसम्मात मखना बनाम बिन्देश्वरी प्रसाद) |
माता प्रसाद बनाम नागेश्वर सहाय के मामले में प्रिवी कौंसिल  ने यह निर्धारित किया है कि यदि स्वतंत्र सहमति से कोई पारिवारिक समझौता हुआ है तो उस पर धारा 10 लागू नही होगी |

(4)- आंशिक अवरोध – धारा 10 में लगायी गयी शर्तें तभी शून्य होंगी जबकि अवरोध पूर्ण हो | आंशिक अवरोध के मामलों में नही |

जैसे-
(1)- अंतरिती किसी विदेशी व्यक्ति को अंतरित नहीं करेगा |
(2)- अंतरणकर्ता के स्वत्व को अंतरित नहीं करेगा |
(3)- इन री मैकी के मामले में अंतरणकर्ता ने यह शर्त लगाई कि अंतरिती संपत्ति को परिवार के बाहर नही बेचेगा | ऐसी शर्त आंशिक अवरोध लगाती है क्योकि अंतरिती को अन्य संक्रामण के अन्य विकल्प उपलब्ध हैं | (जैसे- दान, पट्टा, विनिमय, बंधक) 

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