सामान्यतः उत्तराधिकार दो प्रकार के होते हैं, प्रथम तो वसीयती तथा द्वितीय निर्वसीयती | यदि कोइ सम्पत्ति मृतक की इच्छानुसार उसके इच्छित व्यक्तियों में विभाजित होता हो तो उन उत्तराधिकारियों को वसीयती उत्तराधिकार कहेंगे | वही दूसरी ओर जहा मृतक की संपदा उसके विधिक उत्तराधिकारियों में पूर्वनिर्धारित हिस्सों में विभाजित होकर जब उनमे निहित हो जाती है तो वे निर्वसीयती उत्तराधिकारी कहलाते है |
मृतक व्यक्ति की दाययोग्य संपत्तियो का विभाजन मुस्लिम विधि के नियमो के अंतर्गत आता है | दाययोग्य संपत्तियों से अर्थ उन संपत्तियों से है जो मृतक की सम्पदा में से उसके अंत्येष्ठी संस्कार, ऋणों के भुगतान तथा वसीयतदारो (यदि कोई हो) का भुगतान कर देने के बाद जो संपत्तिया बचती है उनसे लगाया जाता है |
यह उल्लेखनीय बात है कि