Friday, August 14

प्रश्न यह कि क्या संपत्ति का मौखिक अंतरण किया जा सकता है ?

भारत में संपत्ति के अंतरण की परिभाषा में अंग्रेजी विधि से सम्बंधित जटिलताओं को स्वीकार नहीं किया गया है | अतः यहाँ संपत्ति  का मौखिक अंतरण संभव है| 

धारा 9 के अनुसार- ‘’प्रत्येक उस मामले में जिसमे लिखत विधि के द्वारा अपेक्षित नही है, संपत्ति का अंतरण लिखत के बिना किया जा सकता है |’’

इस प्रकार धारा 9 संपत्ति के मौखिक अंतरण को स्वीकार करता है लेकिन इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर नही देता है कि किन-किन मामलों में मौखिक अंतरण संभव है, इसके लिए हमे अधिनियम के विशिष्ट अंतरणो से प्रावधान देखने होंगे जो निम्नलिखित है –

(क)- विक्रय  (Sale) - धारा 54 के पैरा (2) और (3) के अनुसार यदि विक्रय की गयी स्थावर संपत्ति का मूल्य 100 रुपये से कम है तो वह मौखिक हो सकता है |

(ख)- बंधक  (Mortgage) - धारा 59 के अनुसार सादा बंधक को छोड़कर अन्य बंधको के मामले में यदि बंधक राशि 100 रुपये से कम है तो बंधक मौखिक किया जा सकता है |

‘’हक़ विलेख के निक्षेप द्वारा बंधक’’ चाहे बंधक राशि कुछ भी हो, सदैव  मौखिक किया जा सकता है |

(ग)- पट्टा  (Lease) - धारा 107 के अनुसार निम्नलिखित पट्टों को छोड़कर अन्य सारे पट्टे मौखिक ही किये जा सकते है –

(१)- वर्षानुवर्षी
(२)- एक वर्ष से अधिक का पट्टा
(३)- ऐसा पट्टा जिसके किराए का भुगतान वार्षिक आधार पर होता है |

(घ)- विनिमय  (Exchange) - धारा 118 के अनुसार विनिमय के सन्दर्भ में विक्रय के प्रावधान लागू होते है |

(ङ)- दान  (Gift) - धारा 123 के अनुसार जंगम संपत्ति का दान मौखिक किया जा सकता है |

नोट – उत्तर प्रदेश में स्थावर संपत्ति का कोई भी अंतरण चाहे उसका मूल्य कुछ भी हो रजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा ही किया जायेगा |

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