Sunday, May 17

कुछ तथ्यों के आधार पर निर्णय लेख

तथ्य

 अभियोजन कथन के अनुसार मृतका क तथा अभियुक्त ख का विवाह माह जनवरी 2015 में हुआ था अभियुक्त ख अपनी पत्नी क के साथ एक मोटरसाइकिल तथा 50000 की मांग को लेकर दुर्व्यवहार करता था दिनांक 24 अप्रैल 2015 को मृतका की संदिग्ध परिस्थितियों में जलने की गंभीर चोटों के कारण मृत्यु हुई।

मृतका क के पिता ग ने दिनांक 21 अप्रैल 2015 को पुलिस थाना कर्नलगंज में प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रदर्श का 1 दर्ज कराई। न्यायालय द्वारा अभियुक्त ख के विरुद्ध धारा 304 बी एवं 498a भारतीय दंड संहिता के आरोप विरचित किए गए अभियोजन पक्ष ने मामले को साबित करने हेतु निम्नलिखित साक्षीगण परीक्षित कराये-

1. घ(PW1) इसने अभियोजन कहानी का समर्थन किया तथा यह कथन किया कि उसकी पुत्री क ने उसे बताया था कि अभियुक्त ख उसको मारता पीटता था, पर्याप्त खाना नहीं देता था तथा अपने माता पिता के यहां से मोटरसाइकिल व 50,000 लाने को कहता था। इसी साक्षी ने आगे कथन किया कि मृतिका क ने जब आत्महत्या कारित की अभियुक्त ख अपने घर के बाहर था तथा आत्महत्या का तत्कालिक कारण मृतिका का अपने सास जो इस मामले में अभियुक्त नहीं है से झगड़ा हुआ था।

2. च(PW2) यह मृतिका क की मां है वह भी घ के कथन का समर्थन करती हैं।

3. छ PW3 डॉक्टर जिसने शव परीक्षण किया था 80% जलने की चोट मृत्यु पूर्व की पाई गई तथा उसकी साक्ष्य एवं शव परीक्षण रिपोर्ट प्रदर्श का 2 के अनुसार जलने की चोटों से दम घुटने व आघात के कारण मृत्यु हुई।

4. ज PW3 विवेचना कर्ता जिसने मामले की विवेचना की तथा प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रदर्श का 1 को प्रमाणित किया। उसने मृतिका क द्वारा दिनांक 15 मार्च 2015 को लिखित पत्र प्रदर्श का 3 भी घ के कब्जे से जप्त किया इस पत्र में यह वर्णित किया गया था कि उसका पति दहेज की मांग पूरी न करने के कारण उसके साथ दुर्व्यवहार करता था।

अभियुक्त का बचाव

1. उसमें कोई अपराध कारित नहीं किया
2. जब उसकी पत्नी क ने आत्महत्या कारित कि वह अपने घर के बाहर था
3. अभियोजन पक्ष स्वतंत्र साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहा है
4. प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने में अनावश्यक विलंब हुआ है।


निर्णय 


न्यायालय जनपद एवं सत्र न्यायाधीश इलाहाबाद
पीठासीन श्री XXX X एचजेएस
ST NO. 285 सन 2015
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम ब
अंतर्गत धारा 498 ए 304 बी भारतीय दंड संहिता थाना कर्नलगंज जिला इलाहाबाद।

निर्णय

प्रस्तुत सत्र परीक्षण में अभियुक्त ख के विरुद्ध आरोप पत्र अंतर्गत धारा 498a व 304 बी भारतीय दंड संहिता, थाना कर्नलगंज इलाहाबाद द्वारा प्रस्तुत किया गया है इस सत्र परीक्षण को तात्कालिन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट X द्वारा अभियुक्त को आरोप पत्र व दस्तावेज की प्रतिलिप देने के बाद दिनांक 10 नवंबर 2015 को सेशन सुपुर्द किया गया।

संक्षेप में अभियोजन पक्ष का इस प्रकार है कि मृतिका क का विवाह अभियुक्त ख के साथ माह जनवरी 2015 को हुआ था। विवाह के बाद से ही अभियुक्त ख मृतका के पिता द्वारा विवाह में एक मोटरसाइकिल व 50,000 ना देने के कारण मारता पीटता तथा पर्याप्त भोजन ना देकर प्रताड़ित करता था। दिनांक 20 अप्रैल 2015 को मृतका क ने आत्महत्या कर ली तथा उसकी मृत्यु का कारण, जलने की गंभीर चोटे थी। घ मृतका का पिता है, ने दिनांक 19 मार्च 2015 को पुलिस थाना कर्नलगंज में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई तथा विवेचनोपरांत आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।

अभियुक्त ने न्यायालय के समक्ष उसके विरुद्ध लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उसने कोई अपराध नहीं किया है अभियुक्त के विरुद्ध आरोप अंतर्गत धारा 498a व 304 बी आईपीसी, विरचित किया गया। अभियुक्त ने आरोप से इनकार किया तथा विचारण की मांग की।

अभियोजन पक्ष की ओर से बतौर PW1 मृतका के पिता को, बतौर PW2 मृतका के माता को, PW3 डॉक्टर को तथा PW4 विवेचना कर्ता को पेश किया गया।

अभियुक्त के बयान अंतर्गत धारा 313 दंड प्रक्रिया संहिता अंकित किया गया अभियुक्त ने अपने बयान में कहा कि उसने कोई अपराध नहीं किया है जब उसकी पत्नी मृतिका क ने आत्महत्या किया तब वह घर से बाहर था।

अभियुक्त की ओर से बचाव में कोई साक्षी पेश नहीं किया गया है।

मैंने विद्वान जिला शासकीय अधिवक्ता एवं बचाव पक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का सम्यक परिसीमन किया।

यह तथ्य विवाद रहित है कि मृतिका क का विवाह ख के साथ माह जनवरी 2015 में हुआ था तथा मृतका क द्वारा आत्महत्या किए जाने के समय अभियुक्त घर के बाहर था।

PW1 साक्षी घ जो मृतक क का पिता है ने अभियोजन कहानी का समर्थन करते हुए कहा कि अभियुक्त ख उसकी पुत्री को पिता से एक मोटरसाइकिल तथा ₹50000 लाने को कहता था इसी बात को लेकर उसकी पुत्री के साथ क्रूरतापूर्ण मारपीट करता था यह बात उसकी पुत्री ने बताया था। घटना की सूचना उसने थाने को दिया था उसके लेख हस्ताक्षर में है PW2 साक्षी च जो मृतका की मां है ने भी घटना का समर्थन किया है।

PW 3 साक्षी जो डॉक्टर है जिसने मृतका के शव का परीक्षण किया था तथा 80% जलने की चोटें, मृत्यु पूर्व की पाई गई, उसने अपने द्वारा तैयार शव परीक्षण रिपोर्ट को प्रमाणित किया जिस पर प्रदर्श का 2 डाला गया, डॉक्टर के अनुसार मृत्यु का कारण जलने की चोटों या दम घुटने का आधार था।

PW4 साक्षी जो विवेचना अधिकारी है इन्होंने भी विवेचनोंपरांत अभियुक्त के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय को प्रेषित किया था जिस पर प्रदर्श का 1 दल गया । 

इसी साक्षी द्वारा विवेचना के दौरान मृतिका द्वारा लिखित पत्र मृतका के पिता घ के कब्जे से प्राप्त करके अपने अभिरक्षा में लिया, जिस पर प्रदर्श का 3 डाला गया। इस पत्र में मृतका ने अपने पति द्वारा दहेज की मांग पूरी ना होने पर उसके साथ दुर्व्यवहार करने की बात लिखी थी।
उक्त विवेचना अधिकारी द्वारा PW1 से कब्जे में लिया गया पत्र जो मृतिका द्वारा अपने मृत्यु के पूर्व लिखा गया था तथा उसकी मृत्यु किस संव्यवहार की परिस्थितियों का वर्णन करता है मृत्यु कालिक तथ्यों में सुसंगत होगा।
शारदा विरदी चंद्र शारदा बनाम महाराष्ट्र राज्य ए आई आर 1984 सुप्रीम कोर्ट पेज नंबर 1622 में उच्चतम न्यायालय द्वारा मृत्यु पूर्व लिखे पत्र को जो मृत्यु के संव्यवहार की परिस्थितियों का वर्णन करता है मृत्यु कालिक संव्यवहार में सुसंगत माना गया है।

 मृतका द्वारा अपनी मृत्यु के पूर्व अपने पिता को लिखा गया पत्र जिसमें दहेज की मांग के बात को लिखा था तथा साक्षी एक या दो द्वारा दहेज मांगने की बात साबित हो जाती है। यद्यपि PW1 मृतका के पिता ने अपने साक्ष्य में इस बात को स्वीकार किया कि मृतका की मृत्यू के समय अभियुक्त ख घर से बाहर था तथा आत्महत्या का तात्कालिक कारण सास के साथ झगड़ा होना बताया है। फिर भी साक्षी संख्या 5 डॉक्टर के द्वारा मृत्यु के पूर्व 80% चोटो का पाया जाना तथा मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अभियुक्त द्वारा मृतिका के साथ दहेज की मांग को लेकर किए जा रहे प्रताड़ना से मृतका के मन में कुंठा जन्म ले चुकी थी तथा सास के साथ हुए तत्कालीन झगड़े ने उत्प्रेरक का काम कर, मृतिका को आत्महत्या करने के लिए विवश किया।

इस संबंध में भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113 बी उल्लेखनीय है जब प्रश्न यह है कि किसी व्यक्ति ने किसी स्त्री की दहेज मृत्यु कारित की है और यह दर्शित किया गया है कि मृत्यु के कुछ पूर्व ऐसे व्यक्ति ने दहेज की मांग के लिए या उसके संबंध में उस स्त्री के साथ क्रूरता की थी या उसको तंग किया था तो न्यायालय यह उपधारणा करेगा कि ऐसे व्यक्ति द्वारा दहेज मृत्यु कार्य किया गया था।

उपरोक्त विवेचना के आधार पर साबित होता है कि अभियुक्त ख द्वारा मृतिका क पर दहेज को लेकर दुर्व्यवहार किया जाता था, तथा दहेज को लेकर क्रूरता किए जाने से तंग आकर मृतका ने स्वयं को जला कर आत्महत्या कर ली, जो कि अभियुक्त को दहेज हत्या के लिए साबित करना है।

इस प्रकार अभियोजन अभियुक्त पर धारा 498a 304 बी भारतीय दंड संहिता का आरोप साबित करने में सफल रहा है।

आदेश

अतः अभियुक्त ख को धारा 498 ए 304b भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दोषसिद्ध किया जाता है। दंड के बिंदु पर अभियुक्त एवं अभियोजन को सुना गया। पक्षो द्वारा प्रस्तुत तर्कों, मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों तथा अपराध की प्रकृति को देखते हुए अभियुक्त ख को धारा 498a भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत 3 वर्ष का कठोर कारावास एवं 5000जुर्माना तथा धारा 304बी भारतीय दंड संहिता, के अंतर्गत 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10000 अर्थदंड से दंडित किया जाता है। अर्थदंड देने में व्यतिक्रम करने पर अभियुक्त 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतेगा। अभियुक्त जमानत पर है उसको निरस्त कर, प्रतिभू उन्मोचित किए जाते हैं। अभियुक्त को अभिरक्षा में लेकर सजा वारंट लेकर अतिशीघ्र कारावास में भेजा जाए। उपर्युक्त कारावास साथ साथ चलेगी।

 दिनांक
 हस्ताक्षर
 निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित दिनांकित एवं उद्दघोषित किया गया।

 दिनांक 
हस्ताक्षर



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