Sunday, May 17

अपराधिक मामले में निर्णय कैसे लिखें


कल प्रक्रिया संहिता की धारा 354 खंड 1 के अनुसार न्यायालय की भाषा में दिया जाना चाहिए उसमें और धारण के बिंदु उन पर विनिश्चय व विनिश्चय के कारण होने चाहिए तथा भारतीय दंड संहिता अथवा किसी अन्य अधिनियम की धारा जिसके अधीन दोष सिद्ध एवं दोष मुक्ति की गई है उस धारा का उल्लेख करना चाहिए।
आपराधिक मामलों में निर्णय लेते समय शीर्षक के रूप में न्यायालय का नाम, विचारण संख्या, पक्षकारों का नाम, धाराएं जिनमें विचारण होना है, पुलिस थाने का नाम जहां की घटना है, लिखा जाना चाहिए, तथा सर्वप्रथम अभियुक्त का नाम जिस धारा के अधीन विचार होना है, लिखना चाहिए इसके पश्चात अभियोजन कथन सभी सुसंगत तथ्यों के साथ संक्षेप में दिया जाना चाहिए। इसके बाद यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि अभियुक्त का स्वीकार किया जाना, करता है कि नहीं। तब अभियोजन पक्ष तथा बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों का जिक्र किया जाना चाहिए या हवाला दिया जाना चाहिए और उनके द्वारा कौन कौन से दस्तावेज साबित किए गए, का उल्लेख किया जाना चाहिए। इसके पश्चात साक्ष्य का विवेचन किया जाना चाहिए। जिससे निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए, जिससे अभियुक्त द्वारा किसी अपराध का किया जाना है कि नहीं।
इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए कि किस धारा के अधीन कितना दंडादेश दिया गया है दण्डादेश पारित करने से पूर्व वारंट विचारण तथा सेशन विचारण द्वारा दंड के बिंदु पर सुना जाना चाहिए।
अंत में निर्णय हस्ताक्षरित एवं दिनांकित करके खुले न्यायालय में सुनाया जाता है।
समन मामले में आरोप दर्ज करने की आवश्यकता ना होने व दोष सिद्ध पर दंड के बिंदु पर सुनवाई करना अनिवार ना होने के अतिरिक्त लगभग वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो वारंट विचारण के मामले में अपनाई जाती है।

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