Friday, May 15

रूढि (Custom as a Sources of Law)

समान परिस्थितियों में मानव आचरण की एकरूपता को ही रूढि कहा जाता है
• समुदाय विशेष के लोगों द्वारा किसी परंपरा का स्वेच्छा से पालन किया जाता है तो कालांतर में वही आचरण रूढि का रूप धारण कर लेता है
• अतीत काल से उसके निरंतर प्रचलन के परिणाम स्वरुप वह रूढि अंततोगत्वा विधिक शक्ति प्राप्त कर लेती है
• हर्बर्ट स्पेंसर के अनुसार सामाजिक नियंत्रण के किसी निश्चित माध्यम के विकसित होने के पूर्व एक ऐसे नियंत्रण का अस्तित्व रहता है जो अंशतः जीवित व्यक्तियों से तथा अधिकांशतः मृत व्यक्तियों की मान्यताओं से उत्पन्न होता है
• नारद स्मृति के अनुसार  सशक्त होने के कारण ही प्रथा विधि की अध्यारोही ही होती है
• बृहस्पति के अनुसार स्थान विशेष के जाति तथा परिवार में प्रचलित रूढ़ियों का पूर्वत अनुसरण किया जाना चाहिए अन्यथा लोगों में असंतोष तथा क्षोभ उत्पन्न हो जाएगा
• याज्ञवल्क्य के अनुसार किसी देश पर विजय प्राप्त कर ली जाने पर विजेता का कर्तव्य है कि वह विजित लोगों को उन्हीं की रूढ़ियों प्रथाओं तथा पारिवारिक परंपराओं का अनुसरण करने दे जैसा कि वह पूर्व से करते चले आ रहे हैं
• कलेक्टर ऑफ मदुरा बनाम मोतूरामलिंगा 1868 के मामले में निर्धारित किया गया कि स्पष्ट रूप से स्थापित रूढि विधि के लिखित पाठ से कहीं अधिक प्रभावकारी होती है
• हालैंड ने रूढि को ऐसी व्यवहार चर्या कहा है जिसका समाज में सामान्य रूप से अनुपालन किया जाता है

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