किसी भी मामले की सुनवाई के दौरान उस मामले के पक्षकारों या उसके द्वारा प्रस्तुत किये गए साक्षियों को न्यायालय में उपस्थित रहना आवश्यक है ऐसे व्यक्तियों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय जिन साधनों का प्रयोग करते हैं वे समन या वारंट हो सकते हैं।
समन न्यायालय का एक ऐसा आदेश होता है जो किसी व्यक्तियों को एक निश्चित तिथि, समय व स्थान पर उपस्थित होने के लिए जारी किया जाता है। समन में समय, स्थान, तिथि, स्थान एवं अपराध की प्रकृति का उल्लेख रहता है।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 61 में समन के प्रारूप का उल्लेख किया गया है इसके अनुसार-
1. यह लिखित होना चाहिए
2. दो प्रतियों में होना चाहिए
3. यह पीठासीन अधिकारी या उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त किसी अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए
4. उस पर न्यायालय की मुद्रा लगी होनी चाहिए।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 62 से 69 तक समन तामील की विभिन्न रीतियों का उल्लेख किया गया है इसके अनुसार समन की तामील किसी पुलिस अधिकारी द्वारा या राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियम के अधीन रहते हुए, समन जारी किए जाने वाले न्यायालय के किसी अधिकारी द्वारा अथवा किसी अन्य लोक सेवक द्वारा किया जा सकेगा।
जहां तक संभव हो धारा 62 के अनुसार समन की तामील उस व्यक्ति पर जिसके नाम जारी किया गया है उसकी एक प्रति देकर व्यक्तिगत रूप से की जाएगी तथा तमिल करने वाला अधिकारी दूसरी प्रति पर प्राप्त करने वाले के हस्ताक्षर करा लेगा जो समन तामील का प्रमाण माना जाएगा।
धारा 63 के अनुसार जब समन किसी निगमित निकाय या समिति के नाम जारी किया गया हो तो उसकी तमिल-
1. निगम के सचिव या
2. स्थानीय प्रबंध या
3. अन्य प्रधान अधिकारी पर की जा सकेगी या
4. ऐसे संबंध की तामिल निगम के, भारत में के मुख्य अधिकारी के पते पर पंजीकृत डाक द्वारा भेजे गए पत्र से की जा सकेगी।
धारा 64 के अनुसार यदि समन किया गया व्यक्ति सम्यक तत्परता के बाद भी ना मिल सके तो समन की तामील ऐसे व्यक्ति के साथ परिवार में रहने वाले वयस्क पुरुष पर की जा सकेगी और उस सदस्य से दूसरी प्रति पर प्राप्ति हस्ताक्षर करा लिए जाएंगे इसे विकसित तमिल भी कहा जा सकता है। इस प्रयोजन के लिए नौकर परिवार का सदस्य नहीं है।
धारा 65 के अनुसार जब सम्यक तत्परता बरतने के बाद भी समन उपरोक्त व्यक्तियों से तमिल ना किया जा सके तो ऐसी दशा में समन की तामील, समन की एक प्रति उस व्यक्ति के निवास स्थान पर ऐसी जगह लगाकर की जाएगी जो सहज ही देखने में आ सके। इसे प्रतिस्थापित तमील कहा जाता है।
धारा 66 के अनुसार जब समन सरकारी सेवक पर तामील किया जाना हो तो न्यायालय समन के दोनों प्रतियां उस कार्यालय के प्रधान को भेजेगा जिसके अधीनस्थ वह कार्य कर रहा है और वह उस पर व्यक्तिगत रूप से समन की तामील कराएगा।
धारा 69 के अनुसार जब सामान की तामील ऐसे व्यक्ति पर की जानी हो जो न्यायालय के क्षेत्राधिकार के बाहर निवास करता है तब न्यायालय समन की दोनों प्रतियां उस न्यायालय को भेजेगा जिसके क्षेत्राधिकार में वह रह रहा है और वह मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति पर समन की सम्यक रीतियों से तामील कराएगा।
धारा 69 में साक्षियों को पंजीकृत डाक द्वारा समन भेजे जाने का प्रावधान किया गया है ऐसा समन उस स्थान पर भेजा जाएगा जहां वे निवास करता है या कार्य करता है या लाभ के प्रयोजन के लिए स्वयं कार्य करता है। यदि डाक द्वारा भेजे गए समन को साक्षी लेने से इंकार कर देता है तो डाक कर्मचारी के इस रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय ऐसे समन को तामील हुआ मान लेगा।
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