Saturday, May 16

दंड प्रक्रिया संहिता में दोष मुक्ति के आदेश से अपील

किसी न्यायालय द्वारा दिए गए दोष मुक्ति के आदेश के विरुद्ध अपील किए जाने से संबंधित प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 378 में वर्णित किया गया है। दोषमुक्त के आदेश के विरुद्ध अपील—

A. राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार द्वारा की जा सकती है या
B. किसी निजी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है
धारा 378 में वर्णित उपबंधो के अधीन रहते हुए—

1. जिला मजिस्ट्रेट किसी मामले में लोक अभियोजक को किसी संज्ञेय और अजमानतीय अपराधों के बाबत मजिस्ट्रेट द्वारा पारित दोष मुक्ति के आदेश से सेशन न्यायालय में अपील प्रस्तुत करने का निर्देश दे सकता है।
2. जब उच्च न्यायालय से भिन्न किसी न्यायालय ने दोष मुक्ति का आदेश चाहे अपील में पारित किया हो या मूल क्षेत्राधिकार के अधीन पारित किया हो या पुनरीक्षण में सेशन न्यायालय ने दोष मुक्त का आदेश पारित किया हो तो राज्य सरकार लोक अभियोजक को दोषमुक्त के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील प्रस्तुत करने का निर्देश दे सकती है।

            लेकिन जब ऐसी दोष मुक्ति का आदेश किसी ऐसे मामले में पारित किया जाता है जिसमें अपराध का अन्वेषण दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के अधीन गठित दिल्ली विशेष पुलिस द्वारा या इस संहिता से भिन्न ऐसे किसी केंद्रीय अधिनियम के अधीन अपराध का निरीक्षण करने के लिए सशक्त किसी अन्य अभिकरण द्वारा किया गया है तो धारा 378 खंड 2 के अनुसार केंद्रीय सरकार लोक अभियोजक को—

A. दोषमुक्त के ऐसे आदेश से जो संज्ञेय और अजमानतीय अपराध के बाबत किसी मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किया गया है सेशन न्यायालय को।

B. दोषमुक्त के ऐसे मूल या अपीलीय आदेश से जो किसी उच्च न्यायालय से भिन्न किसी न्यायालय द्वारा पारित किया गया या दोषमुक्त के ऐसे आदेश से जो पुनरीक्षण में सेशन न्यायालय द्वारा पारित किया गया है उच्च न्यायालय में अपील प्रस्तुत करने के निर्देश दे सकती है।

            राज्य सरकार या केंद्र सरकार के निर्देश पर लोक अभियोजक द्वारा प्रस्तुत की गई उपरोक्त अपील धारा 378 खंड 3 के तहत उच्च न्यायालय के इजाजत के बिना ग्रहण न की जाएगी। निजी व्यक्ति द्वारा दोषमुक्त के आदेश के विरुद्ध अपील धारा 378 खंड 4 के उपबंधो के अनुसार की जा सकती है इसके अनुसार जब कोई दोष मुक्ति का आदेश परिवाद पर संस्थित मामले में पारित किया गया है तो परिवादी इस दोष मुक्त के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील प्रस्तुत कर सकता है लेकिन ऐसी अपील प्रस्तुत करने हेतु परिवादी को उच्च न्यायालय से अनुमति लेनी होगी तथा अनुमति प्राप्त होने पर ही अपील प्रस्तुत कर सकता है।

उपरोक्त अनुमति प्राप्त करने हेतु आवेदन धारा 378 खंड 5 के अनुसार—
1. दोष मुक्ति का आदेश पारित करने के दिन से 60 दिनों के अंदर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
2. यदि परिवादी लोक सेवक है तो यह आवेदन दोष मुक्ति का आदेश पारित करने के दिन से 6 माह की अवधि के भीतर प्रस्तुत किया जा सकता है।

            धारा 378(6) के अनुसार दोष मुक्ति के आदेश से अपील करने की विशेष इजाजत दिए जाने के लिए उपधारा(4) के अधीन आवेदन नामंजूर किया जाता है तो उस दोषमुक्त के आदेश से उपधारा (2) के अधीन कोई अपील नहीं होगी।

कौशल्या रानी बनाम गोपाल सिंह 1964 सुप्रीम कोर्ट के मामले में आधारित किया गया कि जहां परिवादी को उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति नहीं दी गई हो वहां राज्य सरकार भी अपील नहीं कर सकती यद्यपि परिवाद के मामले में भी राज्य सरकार को दोषमुक्त के आदेश के विरुद्ध अधिकार प्राप्त है।

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