समन मामले की परिभाषा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(W) में दी गई है इसके अनुसार समन मामले से अभिप्राय ऐसे मामले से हैं जो किसी ऐसे अपराध से संबंधित होता है जो वारंट मामला नहीं है।
वारंट मामले की परिभाषा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(X) में दी गई है इसके अनुसार वारंट मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है जो मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष से अधिक के कारावास से दंडनीय किसी अपराध से संबंधित है।
दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत अन्वेषण की दृष्टि से अपराधों का विभाजन संज्ञेय एवं असंज्ञेय दो वर्गों में किया गया है किंतु विचारण से संबंधित प्रक्रिया की दृष्टि से अपराधों का विभाजन अपराधों में दी जाने वाली सजा के आधार पर समन मामले एवं वारंट मामले में किया गया है वे सभी मामले जिन्हें 2 वर्ष तक की सजा होती है वे समन मामले हैं तथा दो वर्ष से अधिक के अवधि के सजा वाले अपराध वारंट मामले के अंतर्गत आते हैं समन मामले के विचारण की प्रक्रिया को दंड प्रक्रिया संहिता के अध्याय 20 में धारा 251 से 259 में तथा वारंट मामले की प्रक्रिया को अध्याय 18 में धारा 238 से 250 में प्रावधानित किया गया है । यदि किसी मामले में कुछ वारंट मामले और कुछ समन मामले के अपराध सम्मिलित हैं तो समस्त मामला वारंट मामले की भांति विचारीत किया जायेगा।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 259 में मजिस्ट्रेट को समन मामले को वारंट मामले की भांति विचारण करने की शक्ति का उल्लेख किया गया है यदि वह मामला 6 माह से अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय हो तथा मजिस्ट्रेट की राय हो कि उसे वारंट मामले की प्रक्रिया के अनुसार निपटाया जाए।
समन मामला एवं वारंट मामला में –
1. समन मामले से अभिप्राय ऐसे मामले से है जिसमें दो या दो से कम वर्ष तक की अवधि के कारावास की सजा का प्रावधान है जबकि वारंट मामले वे हैं जिनमें मृत्यु आजीवन कारावास या 2 वर्ष से अधिक की कारावास की सजा का प्रावधान है।
2. समन मामले सामान्य प्रकृति के होते हैं जबकि वारंट मामले अपेक्षाकृत गंभीर प्रकृति के अपराध होते हैं
3. समन मामले का विचारण संहिता के अध्याय 20 में विहित प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है जबकि वारंट मामले का विचारण अध्याय 19 में विहित प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है
4. समन मामले में आरोप विरचित किया जाना आवश्यक नहीं होता है जबकि वारंट मामले में आरोप विरचित किया जाना आवश्यक होता है।
5. समन मामले में अभियुक्त के उन्मोचन का कोई प्रावधान नहीं है जबकि वारंट मामले में आरोप विरचित किए जाने के पूर्व न्यायालय की राय में आरोप निराधार है तो उसे उन्मोचित किया जा सकता है।
6. समन मामले में अभियुक्त के दोषी पाए जाने पर धन के बिंदु पर सुने जाने की आवश्यकता नहीं होती है जबकि वारंट मामले में अभियुक्त के दोष सिद्ध किए जाने पर दंड के बिंदु पर सुना जाना हो सकता है।
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