Thursday, May 21

भारत में एकांतता का अधिकार पूर्णरूपेण मान्य है

एकांतता का अधिकार

    प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार सभी अधिकारों में श्रेष्ठ है अनुच्छेद 21 इसी अधिकार को संरक्षण प्रदान करता है इसके अनुसार किसी व्यक्ति को उसके प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया से वंचित किया जाएगा अन्यथा नहीं इस प्रकार यह अनुच्छेद प्रत्येक व्यक्ति को प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का मूल अधिकार प्रदान करता है।

    ए के गोपालन बनाम मद्रास राज्य 1952 सुप्रीम कोर्ट के मामले में मत व्यक्त किया गया कि अनुच्छेद 21 केवल कार्यपालिका के कृतियों के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करता है विधानमंडल के विरुद्ध नहीं अतएव विधान मंडल कोई भी पारित करके किसी व्यक्ति को प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता से वंचित कर सकता है किंतु मेनका गांधी बनाम भारत संघ 1978 सुप्रीम कोर्ट के मामले में उच्चतम न्यायालय में गोपालन के मामले में दिए गए निर्णय को उलटते हुए यह भी निर्धारित किया गया कि अनुच्छेद 21 केवल कार्यपालिका कृतियों के विरुद्ध ही नहीं वरन कार्यपालिका के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करता है न्यायालय ने यह भी कहा कि प्राण का अधिकार केवल भौतिक अस्तित्व तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें मानव गरिमा को बनाए रखते हुए जीने का अधिकार है किसी व्यक्ति को उसके मूल अधिकारों से वंचित करने के लिए विहित प्रक्रिया युक्तियुक्त होली चाहिए प्रक्रिया युक्तियुक्त भी होगी जब नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाएगा न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि कोई अधिकार किसी अधिकार के लिए आवश्यक है तो  वह भी मूल अधिकार होगा भले ही उसका स्पष्ट उल्लेख संविधान के किस अनुच्छेद में ना किया गया हो।

      भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में  एकांतता के अधिकार को शामिल किया गया है।

 गोविंद बनाम मध्य प्रदेश राज्य 1975 सुप्रीम कोर्ट के मामले में अभि निर्धारित किया गया कि अनुच्छेद 21 के अधीन एकांतता का अधिकार भी शामिल है किंतु यह आत्यंतिक अधिकार नहीं है और उस पर निर्बंधन लगाया जा सकता है।

      राजगोपाल बनाम तमिलनाडु राज्य 1994 सुप्रीम कोर्ट के मामले में  निर्धारित किया गया कि
 एकांतता का अधिकार वर्तमान में अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मूल अधिकार है और कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति के निजी जीवन में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है एक नागरिक को अन्य बातों के अंतर्गत अपने निजी बातें का एकांतता अपने परिवार विवाह वंश चलाने मातृत्व शिक्षा ग्रहण करने की अखंडता की रक्षा करने का अधिकार प्राप्त है इन मामलों से संबंधित किसी बात को उसकी अनुमति के बिना कोई व्यक्ति प्रकाशित नहीं कर सकता है वह सत्य है या असत्य निंदनीय या प्रशंसनीय यदि ऐसा करता है तो वह एक व्यक्ति की एकांतता में हस्तक्षेप करता है तो  उस  व्यक्ति पर उस व्यक्ति की एकांतता नुकसानी का वाद लाया जा सकता है।

 Mr x बनाम हॉस्पिटल जेड 2003 सुप्रीम कोर्ट के मामले में और निर्धारित किया गया कि यद्यपि अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्रदत्त प्राण के अधिकार में एकांतता  का अधिकार भी आता है किंतु यह आत्यंतिक अधिकार नहीं है उस पर अपराध रोकने और अवयस्कता स्वास्थ्य नैतिकता के आधार पर निर्बंधन लगाए जा सकते हैं।

 पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम भारत संघ 1997 सुप्रीम कोर्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एकांतता का अधिकार अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्राण एवं दैहिक स्वाधीनता के अधिकार में शामिल है इस मामले में अनिर्णित किया गया कि टेलीफोन टाइप करना व्यक्ति के कांता के अधिकार पर गंभीर आक्रमण है इसका प्रयोग राज्य को तभी करना चाहिए जब सार्वजनिक आ पाते और लोग सुरक्षा के लिए आवश्यक हो।

 लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वयस्क बालक और बालिका को शिक्षा से अंतरजातीय विवाह का अधिकार है न्यायालय ने यह भी कहा कि यह स्वतंत्र एवं प्रजातंत्रीय देश है एक व्यक्ति बालक या बालिका जो वयस्क हो गया है अपनी पसंद से वयस्क किसी बालक या बालिका से विवाह कर सकता है।

              इस प्रकार भारत में एकांतता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है जो युक्तियुक्त निर्बंधनो के अधीन है।

No comments:

Post a Comment

If you have any query please contact me