Friday, May 15

संविधियों का निर्वचन

मैक्सवेल के अनुसार ऐसी पद्धति जिसके अनुसार न्यायालय किसी संविधि में प्रयुक्त भाषा या शब्दों का अर्थान्वयन करते हैं निर्वचन कहलाती है
• सामण्ड के अनुसार निर्वचन या अर्थान्वयन से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा न्यायालय विधानमंडल के आशय का उस प्राधिकृत रूप में जिसमें कि वह व्यक्त किया गया है विनिश्चित अर्थ निकालने का प्रयत्न करता है
• ग्रे के अनुसार निर्वचन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई न्यायाधीश लिपिबद्ध विधि में प्रयुक्त शब्दों का वह अर्थ लगाता है जो अनुमानत: विधानमंडल ने लगाया होगा अथवा जिस अर्थ को वह विधानमंडल पर आरोपित करना चाहता है
• ग्रे विधि के निर्वचन को एक विज्ञान मानते हैं
• सामण्ड ने लिखा है कि यह ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा न्यायालय विवादित विधि के प्राधिकृत अर्थ को जानने का प्रयास करते हैं
• मैक्सवेल के अनुसार निर्वाचन का मुख्य उद्देश्य निर्धारित करना है कि अधिनियमित विधि में प्रयुक्त भाषा एवं शब्दों से ऐसा क्या प्रत्यक्ष या परोक्ष अर्थ निकलता है जो निर्वाचक उसके समक्ष प्रस्तुत प्रकरण या तथ्यों  के प्रति लागू कर सकें
• कूले ने निर्वाचन और अर्थान्वयन में भेद स्पष्ट करते हुए कहा है कि निर्वचन के अंतर्गत अधिनियम में प्रयुक्त शब्दों के किसी भी रुप के वास्तविक अर्थ का पता लगाया जाता है जबकि अर्थान्वयन में किसी कानून के मूल पाठ की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति से परे विषयों के संबंध में निष्कर्ष निकाला जाता है
• सामण्ड के अनुसार निर्वचन दो प्रकार के होते हैं प्रथम व्याकरणिक तथा द्वितीय तार्किक
• फिट्जगिराल्ड ने निर्वाचन को शाब्दिक तथा क्रियात्मक इन दो वर्गों में विभाजित किया है

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