1976 के संशोधन द्वारा विवाह विच्छेद के प्रावधान में निम्नलिखित परिवर्तन हुए हैं –
1. जारता या पर व्यक्ति के साथ स्वेच्छया मैथुन को धारा 13(1)(i) में विवाह विच्छेद का आधार बनाया गया है |
2. असाध्य रूप से विकृतचित्तता को विवाह विच्छेद का आधार बनाया गया है |
4. न्यायिक पृथक्करण या दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन की डिक्री के बाद पक्षकारो के मध्य एक वर्ष से अधिक अवधि तक सहवास न होने पर विवाह विच्छेद का आधार माना गया है |
5. विवाह के पश्चात पति द्वारा पशुगमन को पत्नी के लिए विवाह विच्छेद का आधार बनाया गया है |
6.पत्नी को विवाह-विच्छेद के अतिरिक्त आधार के रूप में भरण-पोषण की डिक्री प्राप्त करने के एक वर्ष तक सहवास का न होना तथा 15 वर्ष से कम आयु की पत्नी द्वारा 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पूर्व विवाह का निराकरण, को जोड़ा गया |
7. धारा 13-A जोड़कर न्यायालय को यह अधिकार दिया गया कि वह वैकल्पिक अनुतोष के रूप में विवाह विच्छेद के बजाय न्यायिक अलगाव की आज्ञप्ति पारित कर सके |
8. धारा 13-B को जोड़कर पारस्परिक सहमति से विवाह विच्छेद को मान्यता प्रदान किया गया है |
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