हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 15के अनुसार –
कोई भी विधिमान्य दत्तक, दत्तक पिता द्वारा या माता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा रद्द नही किया जा सकेगा और न ही दत्तक लिया गया अपत्य अपनी दत्तक की हैसियत का परित्याग करे सकेगा और न ही वह अपनी पूर्व के कुटुम्ब में वापस जा सकेगा।
धारा 5 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि अधिनियम के उपबंधो के उल्लंघन में किया गया दत्तक शून्य होगा ।
धारा 17 में की गयी व्यवस्था के अनुसार यदि दत्तक का दिया जाना किसी प्रतिफल के एवज में किया गया है तब ऐसा दत्तक देने वाला 6 माह तक के कारावास व जुर्माने से दंडनीय होगा।
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