Tuesday, June 23

हिन्दू विधि के अंतर्गत विधवा पुत्रवधू के भरण-पोषण के अधिकार

हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19 यह स्पष्ट करती है कि कोई हिन्दू पत्नी चाहे उसका विवाह अधिनियम के पूर्व या पश्चात अनुस्थापित हुआ हो अपने पति के मृत्यु के बाद श्वसुर द्वारा भरण-पोषण प्राप्त करने की अधिकारणी होगी, परन्तु यह तब, जब वह अपनी स्वअर्जित संपत्ति से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो या जहां उसके पास स्वअर्जित संपत्ति नही है वहा वह अपने पति या माता पिता के संपत्ति से, या अपने पुत्र या पुत्री की संपत्ति से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो।

धारा 19(2) में की गयी व्यवस्था के अनुसार यदि श्वसुर के कब्जे में की संपत्ति में विधवा पुत्रवधु को कोई अंश प्राप्त नही हुआ है तथा श्वसुर विधवा पुत्रवधु का भरण पोषण करने में असमर्थ तब विधवा पुत्रवधु को भरण-पोषण करने की बाध्यता श्वसुर पर नही होगी और यदि विधवा पुत्रवधू पुनः विवाह कर लेती है तब भरण-पोषण का श्वसुर का दायित्व स्वयं समाप्त हो जाएगा।

राजकिशोर बनाम मीणा मिश्रा, 1995 इलाहाबाद 70 के वाद में न्यायालय ने कहा कि यदि विधवा पुत्रवधु अपने माता-पिता की संपत्ति से अपना भरण-पोषण कर सकती है तब वह श्वसुर से भरण-पोषण की मांग नही कर सकती।

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