Monday, June 8

न्यायालय जिस व्यक्ति को जमानत देने से इंकार किया हो उस व्यक्ति को प्राप्त उपचार

       दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के अंतर्गत उच्च न्यायालय तथा सेशन न्यायालय को जमानत के संबंध में विशेष शक्ति दी गई है जिसके तहत उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय किसी ऐसे व्यक्ति को जमानत पर छोड़ सकता है जिसको मजिस्ट्रेट ने जमानत देने से इंकार कर दिया हो।

 धारा 439 के अंतर्गत उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय आदेश दे सकता है कि—
1. किसी ऐसे व्यक्ति को जिस पर किसी अपराध का अभियोग है और जो अभिरक्षा में है जमानत पर छोड़ दिया जाए तथा यदि अपराध धारा 437 खंड 3 में उल्लिखित प्रकार का है तो आवश्यक शर्त भी अधिकृत कर सकता है।
2. किसी व्यक्ति को जमानत पर छोड़ते समय मजिस्ट्रेट द्वारा आरोपित की गई कोई शर्त रद्द या संशोधित कर सकता है
अजय कुमार शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2005 इलाहाबाद हाई कोर्ट के मामले में आधारित किया गया की जमानत प्रार्थना पत्र पर विचार करते समय न्यायालय को मामले की विस्तृत छानबीन करना आवश्यक नहीं है बल्कि जमानत से संबंधित प्रतिपादित सिद्धांत पर विचार करना चाहिए।

कंवर सिंह मीणा बनाम राजस्थान राज्य 2013 सुप्रीम कोर्ट के मामले में आधारित किया गया की जमानत के आवेदन को स्वीकार या अस्वीकार करते समय न्यायालय को साक्ष्य का अति सावधानी अथवा सतर्कता से परीक्षण नहीं करना चाहिए।

           धारा 439 के अंतर्गत उच्च न्यायालय और सेशन न्यायालय को जमानत मंजूर करने की समवर्ती शक्ति का उल्लेख किया गया है अतः कोई व्यक्ति जो धारा 437 के तहत पारित मजिस्ट्रेट के आदेश से व्यथित हैं उक्त दोनों न्यायालयों में किसी में जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है किंतु यदि वह मजिस्ट्रेट के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करता है तो उच्च न्यायालय द्वारा नामंजूर किए जाने पर उन्ही आधारो पर सेशन न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत नहीं कर सकता जबकि सेशन न्यायालय द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र की सुनवाई किए जाने पर नामंजूर करने की दशा में उन्हीं आधरों पर उच्च न्यायालय के समक्ष जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है।

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